बिहार विधान सभा के चुनाव परिणाम

बिहार में नितीशकुमार-लालुप्रसाद महागठबंधन की शानदार जीत, बी.जे.पी. को बड़ा भारी ठेस, कांग्रेस को आशा की किरण

महागठबंधन ने 243 में 178 सीटें तथा एन.डी.ए. ने 58 सीटें जीत ली । नितीश कुमार मुख्य मंत्री होंगे।

 

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     महागठबंधन में जे.डी.यू ने 101 सीटों में चुनाव लड़कर 71 सीटें जीत ली ।  आर.जे.डी. ने 101 सीटों में लड़कर 80 सीटें तथा कांग्रस ने 40 सीटों में चुनाव लड़कर 27 सीटें जीत ली । 

     एन.डी.ए. में बी.जे.पी. 157 सीटों में चुनाव लड़कर केवल 53 सीटें ही जीत सकी ।  एल.जे.पी. और आर. एल. एस. पी. ने दो-दो सीटें तथा एच.एच.एफ ने एक सीट जीत ली । 

     महागठबंधन को दो तिहायी का बहुमत प्राप्त हुआ है ।  राजद सबसे बड़ा अकेला राजनीतिक दल है ।

     बी.जे.पी. के पास 91 सीटें थी , वह 57 में कट गयी ।  बी.जे.पी. का गढ़ माने जानेवाले पटना में भी वह पिछड़ गयी । मोर्चे का दूसरा दल रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी  केवल 2 ही सीटें हासिल कर सकी ।  पूर्व मुख्यमंत्री जितिनराम मांझी एक ही सीट में जीत पाया । उनकी पार्टी हिन्दुस्तान अवाम मोर्चे को केवल एक सीट से संतुष्ट होना पड़ा । उपेन्द्र कुशवाहा की आर.एल.एस.पी. दो सीटों में तथा सी.पी.आई (एम.एल) तीन सीटों में जीत गयी ।  लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव जीत गये ।  मुलायम सिंह यादव और पप्पू यादव के नेतृत्व में गठित तीसरे मोर्चे की भी बड़ी पराजय हुई ।  साम्यवादी दलों के नेतृत्ववाले चौथे मोर्चे की चार सीटें कटकर एक हो गयी ।  असादुद्दीन अवैसी के नेतृत्व में मजलिस ई मुस्लिमन ने 6 सीटों में चुनाव लड़ा था लेकिन एक भी सीट में जीत हासिल नहीं कर सकी ।  लेकिन कांग्रस को फायदा हुआ है ।  उसकी सीटें चालू 4 सीटों से 27 में बढ़ गयी । 

     बिहार का चुनाव परिणाम और बी.जे.पी. की हार राष्ट्रीय राजनीति में परिवर्तन लाने की संभावना है।

     महागठबंधन के पुरोधा नितीश कुमार के विकास का नमूना, प्रशासनिक क्षमता और ग्रामीण क्षेत्रों में लालू प्रसाद यादव के अतुल्य कार्य व्यापार आदि ने जब इन्हें शानदार विजय की ओर अग्रसर किया वहीं, आरक्षण, मूल्य वृद्धि, दादरी कांड, गोमांस, बिहारी-बाहरी विवाद आदि और से संबंधित घटनाएँ, असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों के प्रति निरंतर हमले आदि मसलों के असर ने चुनाव में बी.जे.पी. के खिलाफ काम किया होगा और उनके लिए पराजय का रास्ता खोल दिया होगा।

     इन मसलों पर भी अपनी नीति और कार्य प्रणाली तय करते समय अगर  बी.जे.पी ध्यान रखेगी तो आगे का सफर  सुगम रहेगा अन्यथा रास्ते में मुश्किलें और अड़चनें पड़ने के ये आसरे लगते हैं ।

  • एम.एस.आर

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