केरल


विश्व आयुर्वेद महोत्सव की शानदार शुरुआत


17b02736-9bbc-4710-aad6-560b8c472f69
 तृतीय विश्व आयुर्वेद महोत्सव-2016 (31-01-2016 से  04-02-2016  तक) का,भव्य उद्घाटन कोषिक्कोट स्वप्न नगरी में 31-01-2016 को, श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.रजित सेना रत्न ने किया । उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा व शोध  में सुदृढ़ धरातल पर खडे श्रीलंका इस क्षेत्र के ज्ञान विज्ञान के विनिमय में केरल से कदम से कदम मिलाकर काम करने को तैयार है ।
उन्नीसवीं सदी से श्रीलंका में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति सशक्त चल रही हैं । राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति के रूप में अब भी आयुर्वेद का अपना महत्व है । उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में केरल व श्रीलंका में बहुत अधिक समानताएँ हैं साथ ही दोनों देशों को इस क्षेत्र में आपसी सहयोग की बहुत अधिक संभावनाएँ भी हैं । दो हज़ार वर्ष पहले से श्रीलंका में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति चालू है ।


चौथी सदी के, अनुराधपुरम के, राजा बुद्धदास शल्यक्रिया तक करनेवाले बडे महान वैद्य थे। वे मात्र मनुष्य की ही नहीं जानवरों की भी चिकित्सा करते थे । आयुर्वेद के लिए अलग प्रशासनीय विभाग शुरू करनेवाला पहला देश है श्रीलंका ।  आज आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी विभागों की संयुक्त चिकित्सा पद्धति भी प्रचलित है । पूरे संसार में आज आयुर्वेद की स्वीकृति बढ़ रही है ।


समारोह के अध्यक्ष, राज्य मंत्री के.पी.मोहन ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा क्षेत्र में केरल की प्रगति दूसरे देशों तक पहुंचने में यह समारोह सहायक होगा । रूस से आये अनीटा कार्लोस ने कहा कि रूस में पिछले दस साल से आयुर्वेद को बहुत अधिक स्वीकृति मिल रही है । पूर्व राजदूत व भारत-स्विस आयुर्वेद प्रतिष्ठान के सचिव डॉ.दिलीप सिन्हा का कहना है कि वहाँ केवल आयुर्वेद का प्रचार ही नहीं आयुर्वेद के लिए अलग अकादमी भी है ।


आयुर्वेद एक्सपो का उद्घाटन विपक्षी नेता श्री वी.एस.अच्युतानंदन ने तथा वनिता क्लिनिक का उद्घाटन श्रीलंका के सेंट्रल प्रोविन्स की स्वास्थ्य मंत्री बंदुला सेना रत्ना ने किया ।


तृतीय विश्व आयुर्वेद उत्सव 2016 में  'विशन कॉन्क्लेव' का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदि ने कहा कि आयुर्वेद का प्रचार और गुणवत्ता पर आगे अधिक जोर दिया जाएगा । केरल आयुर्वेद का केन्द्र है । भारत में आयुर्वेद की परंपरा अत्यधिक पुरानी है ।  आयुर्वेद का नारा ही यही है कि सर्वे भवंतु सुखिन: ।  सर्वे संतु निरामय: ।। यह इसकी सर्वसम्मति का उदाहरण है ।


'आयुर' का मतलब है 'जीवन' और वेद का मतलब है 'शास्त्र', यानि 'जीवन का शास्त्र' । आत्मा, मन और आंतरिक स्वास्थ्य का मिलन ही सच्चे अर्थ में स्वास्थ्य कहा जा सकता है । यह एक ही समय शारीरिक व मानसिक है । इस समग्र तत्व को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी स्वीकार किया है ।


मानव को चुनौति देनेवाली बीमारियाँ जैसे मधुमेह, कैंन्सर, रक्त चाप आदि के लिए भी अब आयुर्वेद में इलाज है । यह पर्यावरण से कदम मिलाकर चलनेवाली चिकित्सा पद्धति है । प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति का बड़ा- भारी खर्चा, पार्श्ववर्ती  प्रभाव आदि ने आयुर्वेद की स्वीकार्यता बढ़ायी है ।

5da57cb3-f211-48ab-8d24-62e6f1b89ba5 (1)
आयुर्वेद की समस्त क्षमताओं को हमने पूर्ण रूप से इस्तेमाल नहीं किया है । गुणवत्ता, शोध, उपयोग आदि पर ज़ोर देना ही सबसे ज़रूरी बात है । 'आयुष मंत्रालय' इसकेलिए अवश्यक काम कर रहा है ।  राष्ट्रीय लक्ष्य को ध्यान में रखकर आयुर्वेद  के नियमों में अवश्यक संशोधन करके आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी आदि को उचित ढाँचे में विकसित करने का प्रयत्न भी हो रहा है ।


प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि युवा उद्यमियों को भी दवा निर्माण व शोध के क्षेत्र में आना चाहीए । प्रौद्योगिकी का उपयोग भी इस केलिए होना चाहिए ।    विश्व स्तर पर यह सर्वसम्मति और ऊँचा स्थान ज़रूर हासिल करेगा । राज्यपाल न्यायमूर्ति पी.सताशिवम, मुख्यमंत्री उम्मन चाण्डी, केंद्र आयुष सहमंत्री श्रीपाद यशो नायिक, राज्य स्वास्थ्य मंत्री वी.एस. शिवकुमार, संसद एम.के. राघवन, डॉ. जी.जी गंगाधरन, डॉ. पी.माधवन कुट्टी वारियर आदि भी मंच पर उपस्थित थे ।   

 -नीतू/रंजू/एमएसआर।
 ।
 

WWW.KERALANCHAL.COM

banner
KERALANCHALFONT

केरलाञ्चल

नया कदम , नई पहल ; एक लघु, विनम्र  प्रयास।

 

kera1
mapfin
keralaMAL

हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका

07/03/16 00:24:27 

 

Last updated on

सहसंपादक की कलम से

 

Rotating_globe

संपादकीय

 

'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है ।  हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका ।  हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं ।  भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर  महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं,  केंद्र सरकारी आगे पढ़ें

 

सूचना प्रौद्योगिकी के इस नये युग में हमारी ओर से एक लघु विनम्र प्रयास 'केरलाञ्चल' नाम से एक वेब पत्रिका के रूप में यहाँ प्रस्तुत है।  आज इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर में ही नहीं मोबईल फोनों में भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपनी जान-पहचान की भाषा में खबरें पढ़ सकते हैं।  प्रादुर्भाव के समय वेब पत्रकारिता (सायबर जर्नलिज़म) कुछ अंग्रेज़ी साइटों तक सीमित रहा। लेकिन पिछले पच्चीस-तीस वर्षों के अन्तराल में निकले हिन्दी वेबसाइटों की भरमार देखकर इस क्षेत्र में हुए विकास और लोकप्रियता हम समझ सकते हैं। हिन्दी यूनिकोड का विकास हिन्दी वेब पत्रकारिता का मील पत्थर आगे पढ़ें

Free Global Counter