केरल का अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव
तिरुवनन्तपुरम – केरल
केरल के 20 वीं अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव का, चार दिसंबर को, राजधानी नगर तिरुवनन्तपुरम में कवडियार निशागंधी खुले प्रेक्षागृह में, मुख्यमंत्री उम्मन चाण्टी द्वारा पटाक्षेप हुआ ।
उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज विश्व ही एक गांव में सिमट गया है और यह महोत्सव उस गांव के विभिन्न देशों के बारे में ज़्यादा जानने का मौका प्रदान करता है । उन देशों की सांस्कृतिक विरासत, उनकी जीवन-प्रणाली और इन प्रदेशों की वर्तमान स्थिति से अवगत होने केलिए यह उत्सव सहायक सिद्ध होगा । उन्होंने कहा कि जनता की भागीदारी की दृष्टि से यह दुनियां का सबसे बड़ा दूसरा उत्सव है ।
वन, पर्यावरण, यातायत, खेल-कूद और सिनेमा विभागों के मंत्री तिरुवंचूर राधाकृष्णन ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि जब फिल्मोत्सव रजतजयंती वर्ष पर पहुंच जायेगा तब तक यह बड़ी-बड़ी ऊंचाइयां पार कर चुका होगा । उन्होंने वादा किया कि इस उत्सव केलिए एक थियेटर-समूह जल्दी ही तैयार हो जायेगा । पर्यटन मंत्री के.पी. अनिल कुमार ने कहा कि प्रस्तावित थियेटर समूह के निर्माण के कदम शीघ्र ही उठाये जायेंगे ।
उद्घाटन समारोह में मंत्री के. सी. जोसफ, ब्रज़ील के फिल्म निर्माता-निर्देशक एवं जूरी अध्यक्ष जूलियो ब्रस्सन, विख्यात तबलावादक उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, सारंगी वादक सबीर खान, सांसद शशि थरूर, विधान सभा उपाध्यक्ष पालोट रवि, मुख्य सचिव जिजी थोंसन, सांस्कृतिक विभाग की सचिव राणी जोर्ज, फिल्म अकादमी के अध्यक्ष टी राजीवनाथ, मेला की सलाहकार समिति के अध्यक्ष षाजी एन करुण, फिल्म अकादमी के सचिव एन. राजेंद्रन, फिल्म अभिनेता नेटुमुटी वेणु, फेफ्का के अध्यक्ष वी उण्णिकृष्णन, फिल्म चेंबर अध्यक्ष सी.पी. विजयकुमार आदि उपस्थित थे । ब्रज़ील के फिल्म निर्माता-निर्देशक एवं जूरी अध्यक्ष जूलियो ब्रस्सन ने प्रतिनिधियों को आभार प्रकट किया।
उद्घाटन समारोह के बाद मुख्य अतिथि, तबला-वादन में माहिर, उस्ताद ज़ाकिर हुसैन और सारंगी वादक सबीर खान ने एक संगीत कार्यक्रम पेश किया । मुख्य अतिथि के रूप में ज़ाकिर हुसैन ने कहा कि भारत एक ऐसी जगह है जहां संस्कृति ने अतुल्य विरासत को आत्मसात किया है । उन्होंने कहा कि केरल के परंपरागत वाद्य उपकरण चेण्टा, इटक्का, मद्दलम आदि राज्य की ऊंची सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं ।
इस मेला में दुनिया के 60 देशों से 178 चित्रों को शामिल किया गया है । 14 थियेटरों में 7500 सीटें उपलब्ध करायी गयी हैं और हर दिन हर थियेटर में पांच प्रदर्शन आयोजित किये हैं। ईरान के नवतरंग सिनेमा के जन्मदादा के रूप में पहचाने जानेवाले दारूष मेहरूजी को आजीवन योगदान के पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
इस वर्ष के मेला की उल्लेखनीय बात यह है कि मलयालम फिल्म उद्योग को नवीनतम निर्माण शैलियों और प्रौद्योगिकी को परिचित कराने के उद्देश्य से पटकथा-रचना, श्रृंगार-प्रसाधन/मेकअप, डिजिटल सिनिमाटोग्राफी, कला निर्देशन आदि क्षेत्रों की नवीनतम जानकारी, तत्-तत् क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों द्वारा सिनेमा के क्षेत्र के हमारे 127 प्रतिनिधियों को प्रदान की जायेगी और उनसे विचारों का आदान प्रदान भी किया जायेगा । यह हमारी फिल्मी दुनिया को ज़्यादा उमंग और उत्साह प्रदान करेगा।
उद्घाटन समारोह में फ्रांस के फिल्म निर्देशक जीन जाक्वस अन्नूड का त्रिमान चित्र `वुल्फ टोटम' प्रदर्शित किया गया ।
--एमएसआर/वीपी/एसए
केरलाञ्चल
नया कदम , नई पहल ; एक लघु, विनम्र प्रयास।
संपादक
डॉ.एम.एस.राधाकृष्ण पिल्लै (डॉ.एम.एस.आर.पिल्लै)
सहसंपादक
सलाहकार समिति
संपादकीय विभाग में सहयोग:
सहयोगी संस्थाएँ:
कार्तिका कंप्यूटर सेंटेर ,
कवडियार, तिरुवनंतपुरम-695003
देशीय हिन्दी अकादमी,
पेरुंगुष़ी, तिरुवनंतपुरम-695305
हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका
07/03/16 00:24:26
Last updated on
सहसंपादक की कलम से
संपादकीय
'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है । हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका । हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं । भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं, केंद्र सरकारी आगे पढ़ें
सूचना प्रौद्योगिकी के इस नये युग में हमारी ओर से एक लघु विनम्र प्रयास 'केरलाञ्चल' नाम से एक वेब पत्रिका के रूप में यहाँ प्रस्तुत है। आज इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर में ही नहीं मोबईल फोनों में भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपनी जान-पहचान की भाषा में खबरें पढ़ सकते हैं। प्रादुर्भाव के समय वेब पत्रकारिता (सायबर जर्नलिज़म) कुछ अंग्रेज़ी साइटों तक सीमित रहा। लेकिन पिछले पच्चीस-तीस वर्षों के अन्तराल में निकले हिन्दी वेबसाइटों की भरमार देखकर इस क्षेत्र में हुए विकास और लोकप्रियता हम समझ सकते हैं। हिन्दी यूनिकोड का विकास हिन्दी वेब पत्रकारिता का मील पत्थर आगे पढ़ें