डॉ. के.एम.मालती : आपने केरल विश्वविद्यालय केन्द्र , कोच्चिन से एम.ए हिन्दी 1971 में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । 1991 में कालिकट विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग से ' साठोत्तर हिन्दी कहानी: बदलती संवेदना एवं शिल्प ' विषय पर पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की । कालिकट सरकारी कला एवं विज्ञान महाविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग में 1973 से 2003 तक प्राध्यापक, रीडर एवं विभागाध्यक्ष के रूप में सेवा की ।
2005 से 2008 तक यू.जी.सी बृहत अनुसन्धान परियोजना के तहत स्त्री विमर्श के भारतीय परिप्रेक्ष्य पर महात्मा गान्धी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में काम किया । ' स्त्री विमर्श: भारतीय परिप्रेक्ष्य (2010), हस्तिनापुरम, देहान्तरम (2009), नवभारतीय कथकल (2009), निर्मलवर्मयुडे नीण्डा कथकल (2004) और साठोत्तर हिन्दी कहानी (1991) आदि आपकी प्रमुख रचनाएं हैं। केन्द्रीय साहित्य अकादमी केलिए वैक्कं मुहम्मद बशीर:विनिन्बध (2015) का अनुवाद किया। चालीस शोध आलेख और तीस अनूदित कहानियां पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित।
आठवां विश्व हिन्दी सम्मेलन-न्यूयोर्क (2007), अंतर्राष्ट्रीय तुलनात्मक कांग्रेस ब्राज़ील (2007) और दक्षिण कोरिया (2010), प्रेमचन्द अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी, साहित्य अकादमी (2005), अनुवाद कार्यशाला, लन्दन (2002) और पचास से ज़्यादा संगोष्ठियों में प्रतिभागिता।
उत्तरप्रदेश हिन्दी संस्थान का 'सौहार्दसम्मान '(2015) केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय का हिन्दीतर भाषी हिन्दी लेखक पुरस्कार (2012), केरल हिन्दी प्रचार सभा का अनुवाद पुरस्कार (2014), हिन्दी सेवी सम्मान, भाषा समन्वय वेदी, कालिकट (2014), साहित्यिक सेवा केलिए प्रशस्तिपत्र, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा (2010) आदि पुरस्कार प्राप्त किये हैं।
महादेवी वर्मा स्मृति व्याख्यान, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय की व्याखानमाला और विभिन्न विश्वविद्यालयों के अकादमिक स्टाफ कालेजों में आपने कई व्याख्यान भी दिये हैं। हिन्दी प्रचार, शिक्षण, अनुसन्धान एवं अनुवाद के क्षेत्र में सक्रिय योगदान।
आप महात्मागाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.जी.गोपिनाथन की धर्मपत्नी हैं ।
इस पुरस्कार प्राप्ति पर डॉ. के.एम मालती जी का हम हार्दिक अभिनंदन करते हैं ।
चित्र में डॉ. के.एम.मालती उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का सौहार्द सम्मान ग्रहण कर रही हैं ।
केरलाञ्चल
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07/03/16 00:24:25
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