डॉ. देवकी एन जी
संप्रति कोच्चिन यूनिवर्सिटी ऑफ साइन्स एण्ड टेक्नोलॉजी के हिन्दी विभाग में यू.जी.सी इमेरिट्स प्रोफेसर हैं । आप अब तक सात रिसर्च प्रोजेक्ट्स में काम कर चुकी हैं । इन्हें यू.जी.सी. रिसर्च अवार्ड प्राप्त हुआ जिसके अन्तर्गत ध्वनि एवं संगीत तत्त्व के आधार पर हिन्दी मलयालम काव्य का अध्ययन संपन्न किया । कंप्यूटर साधित भाषाध्ययन में विशेष रुचि है । सन् 1990 ई. में "कंप्यूटर एइडट लैंग्वेज लेर्निंग' केलिए भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक विभाग, नई दिल्ली का रिसर्च प्रॉजेक्ट प्राप्त हुआ जिसके अन्तर्गत कोच्चिन विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में सर्वप्रथम एक लैंग्वेज टेकनोलॉजी प्रयोगशाला की स्थापना की । इसके अतिरिक्त यू.जी.सी. मेजर रिसर्च प्रॉजेक्ट तथा तीन यू. जी.सी. शोध परियोजनाएँ भी प्राप्त हैं । "वेब ऑफ लैंग्वेज' (अंग्रेज़ी में) इन शोध परियोजनाओं पर आधारित महत्वपूर्ण कृति है ।
भारत सरकार के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी मंत्रालय एवं महासागर विकास मंत्रालय की संयुक्त हिन्दी सलाहकार समिति, खाद्य संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली, भारतीय हिन्दी परिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति, केरल हिन्दी प्रचार सभा की कार्यकारिणी समिति, कोच्चिन विश्वविद्यालय की अकादमिक् कौण्सिल, फाकल्टी ऑफ ह्रूमानिटीस, बोर्ड ऑफ स्टडीस आदि की नामित सदस्या रही ।
यू.जी.सी. का रिसर्च अवार्ड, केन्द्रीय हिन्दी निर्देशालय का हिन्दीतर भाषा हिन्दी लेखक पुरस्कार, केरल हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार, तुलसी पीठ मध्यप्रदेश का तुलसी भूषण सम्मान बिहार सरकार का हिन्दी साहित्य पुरस्कार, समेकित हिन्दी साहित्य पुरस्कार, बस्ती आदि पुरस्कार प्राप्त हैं ।
अलीगढ़ विश्वविद्यालय से "हिन्दी कृष्णकाव्य का आलोचनात्मक इतिहास' विषय पर पीएच.डी. प्राप्त की । केरल की राजधानी तिरुवनन्तपुरम जन्मस्थल है । हाल ही में प्रकाशित राम साहित्य कोश' (दो खंडों में) की सह संपादक रही । "प्रयोजनपरक हिन्दी व्याकरण: व्यावहारिक परिप्रेक्ष्य में', "राधा कहाँ है?' (हिन्दी में अनूदित मलयालम काव्य) "हिन्दी कृष्णकाव्य का आलोचनात्मक इतिहास' (प्रकाशित शोधप्रबन्ध), और आधुनिक हिन्दी साहित्य के कुछ हस्ताक्षर' (केन्द्रीय हिन्दी निर्देशालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत) प्रकाशित रचनाएँ हैं । इसके अतिरिक्त सौ से अधिक शोध प्रपत्र स्तरीय हिन्दी शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं । सोलह विद्यार्थी अपने निर्देशन में अब तक पीएच.डी प्राप्त कर चुके हैं और पाँच विद्यार्थी अब शोधकार्य कर रही हैं ।
कंप्यूटर साधित भाषाध्ययन, वैज्ञानिक अनुवाद अध्ययन, व्याकरण, भाषा विज्ञान, काव्यशास्त्र, मध्यकालीन हिन्दी काव्य तथा आधुनिक हिन्दी काव्य विशेष अध्ययन के क्षेत्र हैं ।
आप कोच्ची में रहती है।
केरलाञ्चल
नया कदम , नई पहल ; एक लघु, विनम्र प्रयास।
संपादक
डॉ.एम.एस.राधाकृष्ण पिल्लै (डॉ.एम.एस.आर.पिल्लै)
सहसंपादक
सलाहकार समिति
संपादकीय विभाग में सहयोग:
सहयोगी संस्थाएँ:
कार्तिका कंप्यूटर सेंटेर ,
कवडियार, तिरुवनंतपुरम-695003
देशीय हिन्दी अकादमी,
पेरुंगुष़ी, तिरुवनंतपुरम-695305
हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका
07/03/16 00:24:13
Last updated on
सहसंपादक की कलम से
संपादकीय
'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है । हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका । हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं । भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं, केंद्र सरकारी आगे पढ़ें
सूचना प्रौद्योगिकी के इस नये युग में हमारी ओर से एक लघु विनम्र प्रयास 'केरलाञ्चल' नाम से एक वेब पत्रिका के रूप में यहाँ प्रस्तुत है। आज इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर में ही नहीं मोबईल फोनों में भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपनी जान-पहचान की भाषा में खबरें पढ़ सकते हैं। प्रादुर्भाव के समय वेब पत्रकारिता (सायबर जर्नलिज़म) कुछ अंग्रेज़ी साइटों तक सीमित रहा। लेकिन पिछले पच्चीस-तीस वर्षों के अन्तराल में निकले हिन्दी वेबसाइटों की भरमार देखकर इस क्षेत्र में हुए विकास और लोकप्रियता हम समझ सकते हैं। हिन्दी यूनिकोड का विकास हिन्दी वेब पत्रकारिता का मील पत्थर आगे पढ़ें