डॉ. जी. गोपीनाथन

Prof gopinathआपने अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय से प्रथम श्रेणी में सर्वप्रथम हिन्दी एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की।  वहीं से 1969 में पीएच.डी की उपाधि और 1976 में जबलपुर विश्वविध्यालय से डी.लिट की उपाधि प्राप्त की। कालिक्कट विश्वविद्यालय से 1978 में रूसी भाषा में डिप्लोमा। 

     1971 से 2003 तक कालिक्कट विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक, रीडर, प्रोफसर एवं विभागाध्यक्ष रहे।  अनुवाद-अध्ययन एवं तुलनात्मक साहित्य विशेष अध्ययन क्षेत्र रहे। 2003 से 2008 तक महात्मागांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा में कुलपति रहे।  उससे पूर्व फिनलैंड के हेलसिंकी विश्वविद्यालय में 1997 से 2000 तक तीन वर्ष विज़िटिंग प्रोफसर रहे।  पैरिस यूनिवर्सिटी में फरवरी 1991 से मई 1991 तक और वार्सा यूनिवर्सिटी, पोलंड में 1983-84 में विज़िटिंग प्रोफसर रहे।  1969-71 के दौरान कोच्चिन विश्वविद्यालय केंद्र में अध्यापक रहे और 1964-1965 के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में फेलो और प्राध्यापक रहे। 

     विश्व भाषा हिन्दी की अस्तिता: ''स्वप्न और यथार्थ' (वर्धा 2008), 'क्रांतिकारी संत श्रीनारायण गुरु की कवितायें '(वाणी प्रकाशन 2000),'केरल की सांस्कृतिक विरासत' (वाणी, 1998), 'अनुवाद की समस्यायें' (लोकभारती, 1993),'अघोर संप्रदायवुं शक्तिसाधनयुम' (कोट्टयं, 1990), 'अनुवाद सिद्धान्त और प्रयोग' (लोकभारती, 1985), 'मरणत्तिनुशेषम' (शिवराम कारंत के उपन्यास का अनुवाद, एन.बी.टी, नई दिल्ली, 1997), 'मलयालम की नई कविताएं' (आगरा, 1975), 'तुलसीदास रामायणम ओरु पठनम्' (कालिक्कट, 1975), 'केरलियों की हिन्दी को देन' (राजकमल, 1973), निर्मल वर्मा की कहानियों का मलयालम अनुवाद (कालिक्कट 2004) 'हिमयुगी चट्टानें' (उपन्यास, केरल ज्योति, वर्तमान साहित्य पत्रिकाओं में आंशिक रूप से प्रकाशित, 2015) आदि आपकी मौलिक एवं अनूदित रचनायें हैं । इसके अलावा लघु कथाएं और यात्रा वृत्तांत विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।  कालिक्कट यूनिवर्सिटी रिसर्च जर्नल (भाग 1,2) का संपादन, बहुवचन, पुस्तक वार्ता, हिन्दी विमर्श एवं तुलनात्मक साहित्य विश्वकोश का संपादन (वर्धा, 2003-2008) भी आपने किया है।

'साहित्य वाचस्पति' (हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग 2012), 'कुसुम अहिन्दी भाषी हिन्दी सम्मान' (1996), 'सौहार्द सम्मान' (उत्तरप्रदेश सरकार 1992), 'नातालि पुरस्कार' (भारतीय अनुवाद परिषद्-1986) 'साहित्य साधना सम्मान' (बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, 2004), 'भाषा सेतु सम्मान' (देवघर, 2014), राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा (2015) आदि कतिपय उल्लेखनीय पुरस्कार एवं सम्मान हैं जिनसे आपको नवाज़ा गया है।

आपने अमेरिका, ब्रज़ील, मारिशस, आस्ट्रेलिया, थाई देश, दक्षिण कोरिया, फिजी, श्रीलंका, फिनलैंड, लतविया, एस्टोनिया, जर्मनी, नेपाल, जापान, फ्रांस, रूस, पोलैंड, इंग्लैंड आदि देशों की अकादमिक यात्रायें की हैं। 

     कालिकट सरकारी कला एवं विज्ञान महाविद्यालय के हिन्दी विभाग की पूर्व अध्यक्ष एवं हिन्दी प्रचार-प्रसार, शिक्षण, अनुसंधान एवं अनुवाद के क्षेत्र में सक्रिय डॉ. के.एम. मालती आपकी धर्मपत्नी हैं ।   

 

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नया कदम , नई पहल ; एक लघु, विनम्र  प्रयास।

 

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हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका

07/03/16 00:24:12 

 

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संपादकीय

 

'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है ।  हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका ।  हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं ।  भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर  महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं,  केंद्र सरकारी आगे पढ़ें

 

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