प्रो.पी.माधवन पिल्लै
प्रो.पी.माधवन पिल्लै एन.एस.एस हिन्दू कॉलज, चंगनाश्शेरी में हिन्दी विभाग के प्रोफेसर एवं अधयक्ष तथा श्री शंकरा संस्कृत विश्व विद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर के पद पर सराहनीय सेवा करने के बाद 1997 अप्रैल में सेवा निवृत हुए। आप महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टयम तथा श्री शंकरा संस्कृत विश्व विद्यालय की कई स्नातक तथा स्नातकोत्तर परीक्षा समितियों के अध्यक्ष एवं सदस्य रहे हैं। भारत सरकार की संसदीय कार्य सलाहकार समिति के भी आप सदस्य रहे हैं। आप चंगनाश्शेरी फिल्म सोसैटी के संस्थापक सदस्य एवं पूर्व मंत्री है। साहित्य प्रवर्तक सहकारी संघ, कोट्टयम के आजीवन सदस्य हैं। आपने राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यशालाओं और संगोष्ठियों में हिस्सा लिया है। आपने हेर्मन गुंडर्ट के शताब्दी दिवस के सिलसिले में जर्मनी में आयोजित अंर्तराष्ट्रीय संगोष्ठी में भारतीय साहित्य पर एक आलेख प्रस्तुत किया है।
प्रो.माधवन पिल्लै ने इतर भारतीय भाषाओं से कई कहानियों और उपन्यासों का हिन्दी तथा मलायलम में अनुवाद किया है। इनमें वी.एस.खंडेदकर का मराठी उपन्यास ययाती, डॉ.वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य का असमिया उपन्यास मृत्युंजय, श्रीमति आशापूर्णा देवी के बंगाली उपन्यास प्रातम प्रतिश्रुति, सुवर्णलता, भीष्म साहनी के हिन्दी उपन्यास तमस और मय्यादास की माडी उपन्यास का मलयालम अनुवाद प्रतिभा राय का शिला पद्म, उत्तरमार्गम, द्रौपदी उपन्यास का मलयालम अनुवाद और अनन्तमूर्ति की कन्नड कहानी मौका संग्रह (मलयालम में) यशपाल और जैनेन्द्र कुमार और प्रेमचन्द की चुनी हुई कहानियों का मलयालम अनुवाद विशेष उल्लेखनीय है। कुल मिलाकर उनकी तेईसों अनूदित कृतियाँ प्रकाश में आई। इसमें मलायलम का एक एकाँकी संग्रह और निबन्ध संग्रह भी शामिल है। आपने चार बहुभाषी शब्दकोशों का संकलन – संपादन भी किया है। यथा – हिन्दी मलायलम शब्द कोश, हिन्दी-मलयालम-अंग्रेज़ी शब्दकोश, मलयालम-हिन्दी निघण्डु और अंग्रेज़ी-हिन्दी-मलयालम शब्दकोश ।
केन्द्र साहित्य अकादमी पुरस्कार , केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग का साहित्य पुरस्कार आदि पुरस्कारों से भी आप सम्मानित किये गये हैं।
आप चंगनाश्शेरी पेरुन्ना (केरल) में रहते हैं।
केरलाञ्चल
नया कदम , नई पहल ; एक लघु, विनम्र प्रयास।
संपादक
डॉ.एम.एस.राधाकृष्ण पिल्लै (डॉ.एम.एस.आर.पिल्लै)
सहसंपादक
सलाहकार समिति
संपादकीय विभाग में सहयोग:
सहयोगी संस्थाएँ:
कार्तिका कंप्यूटर सेंटेर ,
कवडियार, तिरुवनंतपुरम-695003
देशीय हिन्दी अकादमी,
पेरुंगुष़ी, तिरुवनंतपुरम-695305
हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका
07/03/16 00:24:13
Last updated on
सहसंपादक की कलम से
संपादकीय
'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है । हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका । हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं । भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं, केंद्र सरकारी आगे पढ़ें
सूचना प्रौद्योगिकी के इस नये युग में हमारी ओर से एक लघु विनम्र प्रयास 'केरलाञ्चल' नाम से एक वेब पत्रिका के रूप में यहाँ प्रस्तुत है। आज इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर में ही नहीं मोबईल फोनों में भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपनी जान-पहचान की भाषा में खबरें पढ़ सकते हैं। प्रादुर्भाव के समय वेब पत्रकारिता (सायबर जर्नलिज़म) कुछ अंग्रेज़ी साइटों तक सीमित रहा। लेकिन पिछले पच्चीस-तीस वर्षों के अन्तराल में निकले हिन्दी वेबसाइटों की भरमार देखकर इस क्षेत्र में हुए विकास और लोकप्रियता हम समझ सकते हैं। हिन्दी यूनिकोड का विकास हिन्दी वेब पत्रकारिता का मील पत्थर आगे पढ़ें