पी.वी.राजगोपाल को इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार
गाँधीवादी कार्यकर्ता पी.वी.राजगोपाल को इन्दिरा गान्धी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से नवाज़ा जाएगा। विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय सेवा करनेवालों को ए.आई.सी.सी. द्वारा यह पुरस्कार दिया जाता है। पुरस्कार में दस लाख रुपये और फालक शामिल हैं। इन्दिरा गान्धी के शहीद दिवस पर इंडियन नैशनल कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गान्धी ने यह पुरस्कार प्रदान किया। पुरस्कार निर्णायक समिति ने कहा है कि राष्ट्रीय एकता केलिए राजगोपाल ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
आप का जन्म केरल के कण्णूर जिले के तिल्लंकेरी नामक गाँव में हुआ था। श्री राजगोपाल ने यह पहचान लिया कि हिंसा और अराजकता के बढ़ने का कारण भूमि रहित होना ही है। और आपने आदिवासियों और दलितों को उनके अधिकारों को दिलाने के प्रयास शुरु किये। इस केलिए उन्होंने "एकता परिषद्' के नाम से एक संगठन भी बनाया। आदिवासियों और भूमिहीनों के अधिकारों केलिए उन्होंने जो पदयात्रा अभियान चलाये थे वे विशेष उल्लेखनीय हैं। पच्चीस हज़ार लोगों को खड़ा करके 2007 में उन्होंने ग्वालियर से दिल्ली तक जिस जनादेश पदयात्रा का आयोजन किया था उसके उपरांत ही केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय भूमि सुधार परिषद् के गठन का निर्णय लिया था। तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार ने राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनाने का भी वादा किया था। जब यह वादा निभाया नहीं गया तो 2012 में उन्होंने एक जन सत्याग्रह यात्रा का आ
योजन किया। आगरा में इस पर समझौता हुआ।
चम्पल के डाकुओं को हिंसा के रास्ते से गाँधीवादी मार्ग में परिवर्तित करने की उनकी गतिविधियों से उन्होंने देश का विशेष ध्यान आकर्षित किया। आपने चम्पल के डाकुओं के पुनर्वास केलिए सरकार से योजनाएँ तैयार करवाने में भी महत्वपूर्ण योगदान किया। मध्यप्रदेश के एक विश्व विद्यालय ने उन्हें पीएच डी की मानद उपाधि भी प्रदान की है। यद्यपि उनका कार्यक्षेत्र उत्तर भारत है तथापि केरल में जन्म लेने के कारण केरलवासी उनपर गर्व करते हैं और इस पुरस्कार प्राप्ति पर "टीम केरलाञ्चल' उनका हार्दिक अभिनंदन करती है। डॉ.राजगोपाल यह पुरस्कार पानेवाला प्रथम केरलीय व्यक्ति हैं।
30 नवंबर 2015 को अपराह्न 3.30 बजे तिरुवनन्तपुरम वी.जे.टी.हाल में डॉ.पी.वी.राजगोपाल का, एक सार्वजनिक सम्मेलन में अभिनंदन किया जाएगा। इस समारोह में मुख्यमंत्री श्री.उम्मनचाण्डी, गृहमंत्री श्री.रमेश चेन्नित्तला, पूर्व मंत्री एवं विधायक एम.ए.बेबी, श्री.कण्णन राजेन्द्रन, सुश्री.शोभा कोशी, श्री.बी.आर.पी.भास्कर, डॉ.मार्ताण्डन पिल्लै, श्री.गौरीदासन नायर आदि उनका अभिनंदन करेंगे।
स्त्रोत:ईमेल संदेश
(सशेष...)
केरलाञ्चल
नया कदम , नई पहल ; एक लघु, विनम्र प्रयास।
संपादक
डॉ.एम.एस.राधाकृष्ण पिल्लै (डॉ.एम.एस.आर.पिल्लै)
सहसंपादक
सलाहकार समिति
संपादकीय विभाग में सहयोग:
सहयोगी संस्थाएँ:
कार्तिका कंप्यूटर सेंटेर ,
कवडियार, तिरुवनंतपुरम-695003
देशीय हिन्दी अकादमी,
पेरुंगुष़ी, तिरुवनंतपुरम-695305
हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका
07/03/16 00:24:15
Last updated on
सहसंपादक की कलम से
संपादकीय
'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है । हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका । हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं । भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं, केंद्र सरकारी आगे पढ़ें
सूचना प्रौद्योगिकी के इस नये युग में हमारी ओर से एक लघु विनम्र प्रयास 'केरलाञ्चल' नाम से एक वेब पत्रिका के रूप में यहाँ प्रस्तुत है। आज इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर में ही नहीं मोबईल फोनों में भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपनी जान-पहचान की भाषा में खबरें पढ़ सकते हैं। प्रादुर्भाव के समय वेब पत्रकारिता (सायबर जर्नलिज़म) कुछ अंग्रेज़ी साइटों तक सीमित रहा। लेकिन पिछले पच्चीस-तीस वर्षों के अन्तराल में निकले हिन्दी वेबसाइटों की भरमार देखकर इस क्षेत्र में हुए विकास और लोकप्रियता हम समझ सकते हैं। हिन्दी यूनिकोड का विकास हिन्दी वेब पत्रकारिता का मील पत्थर आगे पढ़ें