बहुभाषा विद् एवं शोधकार डॉ.वी.एस.शर्मा 80 पर
बहुभाषा विद्, शोधकर्ता एवं अध्यापक वी.एस.शर्मा ने अस्सी साल पूरे किये । आपने अंग्रेजी
और मलयालम में लगभग 90 से ज्यादा पुसतकों और सौ से ज्यादा शोध प्रबंधों की रचना की है । नाट्य शास्त्र में भी आपको गहरा ज्ञान है । आप केरल विश्वविद्यालय के मलयालम विभाग के पूर्व अध्यक्ष हैं और केरल कला मंडलम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं । केरल विश्वविद्यालय में आपने ही पहली बार मलयालम में शोध प्रबंध प्रस्तुत कर पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की थी । इसके बाद ही दूसरे विश्वविद्यालयों ने भी मलयालम में शोध प्रबंध स्वीकार करना शुरू किया था । आपका शोध कार्य कुञ्चन नंबियार के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित था ।
12 मार्च 1936 को- अर्थात् कुंभ महीने के हस्त नक्षत्र के दिन आप का जन्म हुआ था । पिता आलप्पुषा जिले में हरिप्पाट पुत्तियिल इल्लम में साहित्यभूषण पी.एस.वासुदेव शर्मा और माता शुचीन्द्रम वट्टत्व की स्थानिकर मठ में पार्वती अन्तर्जनम् ।
आपकी स्कूली शिक्षा हरिप्पाट में हुई । नागरकोविल एस.टी हिन्दू कॉलेज और, यूनिवेर्सिटी कॉलेज तिरुवनंतपुरम में उच्च शिक्षा प्राप्त की और केरल विश्वविद्यालय से डी.लिट की उपाधि भी प्राप्त की ।
मलयालम दैनिक 'मलयालराज्यं' के संपादक के पद से उनहोंने अपना आधिकारिक जीवन शुरू किया । उसके बाद जन-संपर्क विभाग में अनुवादक हुए । केरलवर्मा कॉलेज, तृश्शूर और तदनंतर केरल विश्वविद्यालय के मलयालम विभाग में अध्यापक हुए । केरल विश्वविद्यालय में अभिषद सदस्य और महात्मा गांधी विश्वविद्यालय में ललित कला विभाग के डीन रहे हैं । 'किल्लीकुरिश्शि मंगल तुंञ्चन स्मारक' के अध्यक्ष एवं तिरुवनंतपुरम मार्गी के अध्यक्ष आदि पर भी आपने सेवा की है ।
भोजदेव का श्रृंगार प्रकाश, श्री.स्वाति तिरुनाल-जीवन और कृतियां, गीतांजलि का अनुवाद, रवीन्द्र सरोवरं, गीत गोविन्दम् की व्याख्या, डॉन्स एंड म्यूसिक ऑफ साउथ इंडिया, ट्रावनकोर डाइनास्टी आदि उनकी प्रमुख रचनाएं हैं । केन्द्र सरकार के संस्कृति विभाग का सीनियर फेलोशिप, सोराब्जी टाटा फेलोशिप आदि कई पुरस्कार उन्हें प्राप्त हुए हैं ।
आप अविवाहित हैं, तिरुवनंतपुरम (केरल) में शास्तमंगल में निवेदिता में रहते हैं ।
अस्सी वर्ष पूरा करने की अवसर पर केरलाञ्चल डॉ.शर्माजी का हार्दिक अभिनंदन करती हैं ।
-एस.एस.आर ।
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