प्रो.(डॉ.) एन. रवीन्द्रनाथ
कालिकट विश्व विद्यालय के हिन्दी विभाग में रीडर और प्रोफेसर के पदों पर सेवा करने के बाद केरल विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष और प्राच्य भाषा संकाय के अध्यक्ष (1990-2000), महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टयम के समकुलपति (2000-04) और केप (Co-Opertive Academy of Professional Education Govt. of Kerala (CAPE) )के निदेशक के पदों पर आपने प्रशंसनीय सेवा की।
अलावा इसके आप कोच्चिन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, केरल विश्व विद्यालय, तिरुवनन्तपुरम, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टयम, कालिकट विश्व विद्यालय, कन्नूर विश्वविद्यालय, बैगलूर विश्वविद्यालय और आन्ध्र विश्व विद्यालय की परीक्षा समितियों तथा अकादमिक परिषदों आदि के सदस्य और अध्यक्ष तथा केरल विश्व विद्यालय की सेनट के सदस्य भी रहे हैं। कई पी एच.डी. शोध प्रबन्धों की न्याय निर्णयन समितियों के सदस्य तथा अध्यक्ष विभिन्न विश्वविद्यालयों की प्रोफेसर और रीडर, लेक्चरर चयन-समितियों के सदस्य, तथा राज्य तथा संघ लोक सेवा आयोग तथा अन्य कई राज्य तथा केन्द्र चयन समितियों के सदस्य भी रहे हैं।
नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा तथा केरल हिन्दी साहित्य मण्डल, कोच्ची के आजीवन सदस्य हैं। आप केरल तथा कालिकट विश्व विद्यालयों के मान्यता प्राप्त शोध पथप्रदर्शक भी हैं। आपने अपने मार्गदर्शन में पन्द्रहों शोध प्रबन्ध प्रस्तुत कराये हैं। 90 से ज्यादा एम.फिल शोध प्रबन्धों का मार्गदर्शन भी आपने किया है। आपने बारहों राष्ट्रीय संगोष्ठियों, परिचर्चाओं में व्याख्यान दिये हैं। डॉ.रवीन्द्रनाथ ने 'रंग और गंध' शीर्षक कविता संकलन और 'मार्कसवाद और हिन्दी उपन्यास' शीर्षक शोधग्रन्थ के अलावा 30 से ज्यादा आलेख देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित किये हैं।
आप तिरुवनन्तपुरम (केरल) के रहनेवाले हैं।
केरलाञ्चल
नया कदम , नई पहल ; एक लघु, विनम्र प्रयास।
संपादक
डॉ.एम.एस.राधाकृष्ण पिल्लै (डॉ.एम.एस.आर.पिल्लै)
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हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका
07/03/16 00:24:12
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संपादकीय
'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है । हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका । हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं । भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं, केंद्र सरकारी आगे पढ़ें
सूचना प्रौद्योगिकी के इस नये युग में हमारी ओर से एक लघु विनम्र प्रयास 'केरलाञ्चल' नाम से एक वेब पत्रिका के रूप में यहाँ प्रस्तुत है। आज इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर में ही नहीं मोबईल फोनों में भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपनी जान-पहचान की भाषा में खबरें पढ़ सकते हैं। प्रादुर्भाव के समय वेब पत्रकारिता (सायबर जर्नलिज़म) कुछ अंग्रेज़ी साइटों तक सीमित रहा। लेकिन पिछले पच्चीस-तीस वर्षों के अन्तराल में निकले हिन्दी वेबसाइटों की भरमार देखकर इस क्षेत्र में हुए विकास और लोकप्रियता हम समझ सकते हैं। हिन्दी यूनिकोड का विकास हिन्दी वेब पत्रकारिता का मील पत्थर आगे पढ़ें