मलयालम फिल्मी अभिनेता  कलाभवन मणी (45) अब नहीं रहे।

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वे आज (6-3-2016) थोडी देर पहले-  शाम  7.15 बजे गोलोवासी हुए । वे कोच्ची में निजी अस्पताल में जिगर की बी्मारी केलिए चिकित्सा में थे।   अब अमृता अस्पताल के  मुर्दाघर  में रखा गया है। अक्षरं उनकी पहली फिल्म थी । वासन्तियुं  लक्ष्मियुं पिन्ने ञानुं फिल्म के अभिनय के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर और राज्य स्तर पर  पुरस्कार प्राप्त हुए थे । चरित्र नायकों की भूमिका के अलावा आपने हास्य अभिनेता और खलनायकों की भूमिकाएं भी निभायी है । आप ने मलयालम के अलावा तमिल,तेलुगु और कन्नड फिल्मों में  भी अदाकारी  की है।. आप का जन्म तृश्शूर जिले में, चालक्कुटी में हुआ था ।

मलयलम के लोकगीतों को लोकप्रिय बनाने में  मणी ने अहम भूमिका निभायी । मणी वामपंथ के हमसफर थे। अस्वाभाविक मृत्यु केलिए पुलिसने मामला दर्ज किया है। अस्पताल के अधिकारियोंने पुलिस को यह सूचना दी है कि मणि ने जो शराब पी थी उस में जहर के अंश थे ।                                                                                             -एम.एस.आर

 

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हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका

07/03/16 00:24:23 

 

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'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है ।  हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका ।  हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं ।  भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर  महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं,  केंद्र सरकारी आगे पढ़ें

 

सूचना प्रौद्योगिकी के इस नये युग में हमारी ओर से एक लघु विनम्र प्रयास 'केरलाञ्चल' नाम से एक वेब पत्रिका के रूप में यहाँ प्रस्तुत है।  आज इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर में ही नहीं मोबईल फोनों में भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपनी जान-पहचान की भाषा में खबरें पढ़ सकते हैं।  प्रादुर्भाव के समय वेब पत्रकारिता (सायबर जर्नलिज़म) कुछ अंग्रेज़ी साइटों तक सीमित रहा। लेकिन पिछले पच्चीस-तीस वर्षों के अन्तराल में निकले हिन्दी वेबसाइटों की भरमार देखकर इस क्षेत्र में हुए विकास और लोकप्रियता हम समझ सकते हैं। हिन्दी यूनिकोड का विकास हिन्दी वेब पत्रकारिता का मील पत्थर आगे पढ़ें

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