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मलयालम के लोकप्रिय कवि, ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता ओ.एन.वी कुरुप (84) का आज, 13-2-2016 को, अपराह्न 4.50 बजे

तिरुवनन्तपुरम में निजी अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ।

 

 

 

(1931 – 2016)

ओट्टाप्लाक्कल नीलकंठन वेलुकुरुप्प उर्फ ओ.एन.वी कुरुप्प

2007 में ज्ञानपीठ पुरस्कार, 1998 में फद्मश्री और, 2011 में पद्मविभूषण  से सम्मानित । 2008 में केरल सरकार का सर्वश्रेष्ठ एषु.त्तच्छन पुरस्कार। मलयालम फिल्म 'वैशाली' के गानों  केलिए गानरचयिता केलिए रैष्ट्रीय पुरस्कार। गानरचयिता 13 मर्तबे  राज्य पुरस्कार ।

दाहिक्कुन्ना पानपात्रम, मरुभूमि, मयिलप्पीलि, अग्निशलभंगल, अक्षरं, करुत्ता पक्षियुटे पाट्टु, उप्पु, भूमिक्कोरु चरमगीतं, शारंगपक्षिकल, मृगया, तोन्यक्षरङल, अपराह्नं, उज्जयिनी, वेरुते, स्वयंवरं, भैरवी  आदि प्रमुख कृतियां।

1931 मई 27 को कोल्लम जिले के चवरा में जन्म। 1957 में एर्नाकुलम महाराजास कोलेज में अध्यापक हुए। 1958 से 25 वर्ष तक तिरुवनंतपुरम यूनिवेर्सिटी कोलेज, कोषिक्कट आर्ट्स आण्ड सांइस कोलेज, तलश्शेरी सरकारी ब्रन्नेन कोलेज और तिरुवनंतपुरम सरकारी वनिता कोलेज में मलयालम विभाग के अध्यक्ष पद पर आपने सेवा की । 1986 मई 31 को सेवानिवृत्त हुए ।

पत्नी- सरोजिनी ।

पुत्र - राजीवन, रेल भरती बोर्ड में उच्च अधिकारी ।

पुत्र-वधू- आर. देविका, बैंक अधिकारी ।

पुत्री- मायादेवी, दामाद- जयकृष्णन- दोनों डॉक्टर हैं ।

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 मलयालम के महाकवि को 'केरलाञ्चल' की श्रद्धांजलियाँ।

 

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हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका

07/03/16 00:24:22 

 

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