श्रद्धांजलि

 

डॉ.के.पद्मावती

(1940-2016)

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 तिरुवनंतपुरम में पेट्टा, चायक्कुटी लेयन, 'अनुग्रह' में डॉ. के.पद्मावती, गत दिवस गोलोकवासी हुई । आपने चवरा और कार्यवट्टम सरकारी कॉलेजों की पूर्व प्राचार्य एवं यूनिवेर्सिटी कॉलेज, तिरुवनंतपुरम और महाराजास कॉलेज, एर्नाकुलम के और अन्य कई सरकारी कॉलेजों के हिन्दी विभागों के अध्यक्ष पदों पर 34 वर्षों तक सेवा करने के उपरान्त अवकाश ग्रहण किया था । विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कोच्चिन और कामराज विश्वविद्यालयों में भी आपने शोध कार्यों का पथ प्रदर्शन किया है ।

 पति: प्रोफ. के.जे.पणिक्कर (अध्यक्ष, टुडे.टी.वी), पुत्री: डॉ. पी.दीपा (प्रसूतिशास्त्री विशेषज्ञ, एस.पी.फोर्ट अस्पताल, तिरुवनंतपुरम), दामाद: डॉ.पी.विजयकुमार(प्लास्टिक सर्जन, एस.पी.फोर्ट अस्पताल)

 हिन्दी की वरिष्ठ पूर्व प्रोफसर डॉ. के.पद्मावती को 'केरलाञ्चल' श्रद्धांजलियां अर्पित करती है । 

 

 

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केरलाञ्चल

नया कदम , नई पहल ; एक लघु, विनम्र  प्रयास।

 

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हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका

07/03/16 00:24:23 

 

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सहसंपादक की कलम से

 

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संपादकीय

 

'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है ।  हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका ।  हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं ।  भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर  महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं,  केंद्र सरकारी आगे पढ़ें

 

सूचना प्रौद्योगिकी के इस नये युग में हमारी ओर से एक लघु विनम्र प्रयास 'केरलाञ्चल' नाम से एक वेब पत्रिका के रूप में यहाँ प्रस्तुत है।  आज इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर में ही नहीं मोबईल फोनों में भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपनी जान-पहचान की भाषा में खबरें पढ़ सकते हैं।  प्रादुर्भाव के समय वेब पत्रकारिता (सायबर जर्नलिज़म) कुछ अंग्रेज़ी साइटों तक सीमित रहा। लेकिन पिछले पच्चीस-तीस वर्षों के अन्तराल में निकले हिन्दी वेबसाइटों की भरमार देखकर इस क्षेत्र में हुए विकास और लोकप्रियता हम समझ सकते हैं। हिन्दी यूनिकोड का विकास हिन्दी वेब पत्रकारिता का मील पत्थर आगे पढ़ें

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