श्रद्धांजलि
मलयालम लेखक अकबर कक्कट्टिल
(1954-2016)
अपनी कहानियों को जीवन और जगत की तस्वीरों से रोचक बना देनेवाले मलयालम लेखक अकबर कक्कट्टिल अब नहीं रहे । 17-02-2016 को कोषिक्कोट में एक निजी अस्पताल में उनका देहान्त हुआ । आप कैंसर से पीड़ित थे ।
आप केरल साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष थे । केरल साहित्य अकादमी के प्रकाशन विभाग के संयोजक रहे थे । नैशनल बुक ट्रेस्ट और राज्य सरकार की मलयालम सलाहकार समितियों, राज्य साक्षरता मिशन की मासिक पत्रिका 'अक्षरकैरली' की संपादकीय समिति और केन्द्र सरकार के मुक्तस्कूली शिक्षा के राष्ट्रीय संस्थान की (एन आई ओ एस) पाठ्यक्रम समिति आदि के भी सदस्य रहे हैं ।
1992 और 2003 में केरल साहित्य अकादमी के पुरस्कार प्राप्त किये हैं । हास्य-व्यंग्य साहित्य में साहित्य अकादमी का प्रथम पुरस्कार भी आपने प्राप्त किया है ।
शमीला फहमी, अध्यापक कथकल, आरां कालं, नादापुरम, मैलाञ्ञिकाट्ट़, तिरञ्ञेटुत्ताकथकल, पतिन्नोन्नु नोवलेट्टुकल, मृत्युयोगं, स्त्रैणम्, वटक्कु निन्नोरु कुटुंबं वृत्तान्तम, स्कूल डायरी आदि प्रमुख कृतियां हैं ।
कोषिक्कोट जिले में कक्कट्टिल गाँव में सात जुलाई 1954 को जन्म । पिता स्व. परंम्पत्तु अब्दुला और माता स्व. चेरु पीडिकक्कंडियल कुञ्ञामिना । पत्नी- वावळोट्ट जमीला । संतानें- सितारा(दुबाय), सुहाना (मनोवैज्ञानिक, क्रियेटीव ब्रिटीश स्कूल, दुबाय), दामाद- जंशीद वटकरा (लेखा प्रबंधक, राज़ल खैमा), शिबिल कोटुङ्ङल्लूर, (बिक्री अभियन्ता, मेट्रो मिडिल ईस्ट, अबूदाबी)
मलयालम के इस प्रिय कहानिकार को 'केरलाञ्चल' की श्रद्धांजलियां ।
-एम एस आर ।
केरलाञ्चल
नया कदम , नई पहल ; एक लघु, विनम्र प्रयास।
संपादक
डॉ.एम.एस.राधाकृष्ण पिल्लै (डॉ.एम.एस.आर.पिल्लै)
सहसंपादक
सलाहकार समिति
संपादकीय विभाग में सहयोग:
सहयोगी संस्थाएँ:
कार्तिका कंप्यूटर सेंटेर ,
कवडियार, तिरुवनंतपुरम-695003
देशीय हिन्दी अकादमी,
पेरुंगुष़ी, तिरुवनंतपुरम-695305
हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका
07/03/16 00:24:23
Last updated on
सहसंपादक की कलम से
संपादकीय
'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है । हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका । हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं । भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं, केंद्र सरकारी आगे पढ़ें
सूचना प्रौद्योगिकी के इस नये युग में हमारी ओर से एक लघु विनम्र प्रयास 'केरलाञ्चल' नाम से एक वेब पत्रिका के रूप में यहाँ प्रस्तुत है। आज इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर में ही नहीं मोबईल फोनों में भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपनी जान-पहचान की भाषा में खबरें पढ़ सकते हैं। प्रादुर्भाव के समय वेब पत्रकारिता (सायबर जर्नलिज़म) कुछ अंग्रेज़ी साइटों तक सीमित रहा। लेकिन पिछले पच्चीस-तीस वर्षों के अन्तराल में निकले हिन्दी वेबसाइटों की भरमार देखकर इस क्षेत्र में हुए विकास और लोकप्रियता हम समझ सकते हैं। हिन्दी यूनिकोड का विकास हिन्दी वेब पत्रकारिता का मील पत्थर आगे पढ़ें