श्रद्धांजलि

डॉ. एन.ए. करीम

(1926-2016)

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 स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा और शिक्षा को लोकतंत्रात्मक धरातल प्रदान करने केलिए प्रयासरत शिक्षाविद डॉ. एन.ए. करीम का, चार फरवरी को तिरुवनन्तपुरम शहर के पेरूरकडा इन्निरानगर में, स्वनिवास पर निधन हुआ ।  वे 15 फरवरी 2016 को 90 साल पूरा करनेवाले थे। वे बूढापे की सहज बीमारियों से पीडित थे और कुछ दिनों से ज्वर से पीडित होने के बाद विश्राम कर रहे थे। बूढापे की कमज़ोरियों और बीमारियों के बावजूद वे वैश्वीकरण की नीतियों के खिलाफ संघर्ष में और सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय थे। वे हमेशा वामपंथ के पक्षधर थे।

 वे कई कॉलेजों तथा विश्व विद्यालयों में अंग्रेज़ी के अध्यापक रहे हैं। उन्होंने कोयंबत्तूर श्रीरामकृष्ण मिशन कॉलेज और जामिया मिल्लिया इस्लामिक विश्व विद्यालय, दिल्ली में अध्यापन का कार्य किया है । केरल विश्वविद्यालय के इन्स्टिट्यूट ऑफ इंग्लीश में अध्यापक हुए थे। कालिकट विश्वविद्यालय में संकाय के अध्यक्ष के पद पर और केरल विश्वविद्यालय में आठ वर्षों तक उपकुलपति के पद पर सेवा की और कुलपति का दायित्व भी आपने संभाला है। कभी- कभी अपने विचार और आदर्शों पर अटल रहने के कारण कुलपति जैसे ऊँचे पदों से उन्हें वंचित रहना पडा है। 

 आशान स्मारक का अध्यक्ष, वैक्कं मौलवी प्रतिष्ठान के अध्यक्ष, भारतीय विद्याभवन के उपाध्यक्ष, फिल्म सेन्सर बोर्ड के सदस्य ,आकाशवाणी की सलाहकार समिति के सदस्य, विभिन्न विश्व विद्यालयों की विविध समितियों में सदस्यता आदि कई क्षेत्रों में आपने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। 

 एर्नाकुलम जिले के वैपिन द्वीप में एटवनक्काट में एक परंपरागत मुस्लिं खानदान में आप का जन्म हुआ था।  चेरायी के रामवर्मा यूनियन हाईस्कूल में आप की स्कूली शिक्षा हुई।  उच्च शिक्षा केलिए एर्नाकुलम महाराजास कॉलेज में भरती हुए और वहाँ 'भारत छोडो' आन्दोलन में शामिल हुए और पुलिस की दमन नीति के शिकार हुए और कॉलेज से बाहर निकाले भी गये।  फिर कांग्रेस में सक्रिय होने के बाद समाजवादी रास्ता अपनाया।  मलबार में फारूख कॉलेज शुरू होने पर वहाँ स्नातक कक्षा में भरती हुए।  इस बीच 'चन्द्रिका' में पत्रकार भी हुए।  उसके बाद फारूख कॉलेज में अध्यापक।  अलिगढ मुस्लिं विश्वविद्यालय से  अंग्रेज़ी में एम.ए।  अमेरिकी साहित्य में केरल विश्व विद्यालय से पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की।

 बीच में राजनीति में भी उतरे थे।  1995 में मुख्यमंत्री ए.के. एंटोनी के खिलाफ तिरूरंगाडी उपचुनाव में चुनाव लडा। वे अपने सख्त विचारों और रुखों में ढील लाने को तैयार नहीं थे और इस कारण चुनाव हार गये। बाद में राजनीति क्षेत्र की नई प्रवृत्तियों से समझौता करने में असमर्थ होने के कारण राजनीति का क्षेत्र छोड दिया।

पत्नी:  मिनी ; पुत्री- डॉ.फरीदा  शाफी; दामाद – मुहम्मद शाफी ।

इस अनन्य, क्रान्तदर्शी शिक्षाविद्    डॉ.एन.ए.करीम को 'केरलाञ्चल'

श्रद्धांजलियां अर्पित करती है ।

एम.एस.आर.  

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07/03/16 00:24:22 

 

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