श्रद्धांजलि
गांधीवादी एवं वरिष्ठ हिन्दी कार्यकर्ता
के जी बालकृष्ण पिल्लै
(1934-2015)
केरल के पक्का गांधीवादी तथा वरिष्ठ हिंदी कार्यकर्ता, लेखक, अनुवादक एवं संपादक के जी बालकृष्णपिल्लै (82) अब नहीं रहे। केरल हिंदी प्रचार सभा की मुखपत्रिका "केरल ज्योति" का आपने 1969 से 30 से ज़्यादा वर्षों तक संपादन किया और 1992 से 2003 तक सभा के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष के पदों पर भी आपने सेवा की। 1952 से दक्षिणभारत हिंदी प्रचार सभा से जुडकर तथा 1958 से केरल हिंदी प्रचार सभा से जुडकर जीवन पर्यंत हिंदी की सेवा करते रहे। दो हफ्ते आप न्युमोणिया से पीडित होकर तिरुवनन्तपुरम मेडिकल कांलेज अस्पताल में भर्ती थे और 31.05.2015 को गोलोकवासी हुए।
19.02.1934 को केरल के आलप्पुष़ा जिले में आपका जन्म हुआ था। वेल्लायणी कार्षिक कॉलेज से प्रशासनिक अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त होने पर 1990 से हिंदी के पूर्णकालिक सेवक हुए। इस बीच में, केरल अनौपचारिक शिक्षा विकास समिति से जुड़कर प्रौढ़ साक्षरता मिशन में सक्रिय सहयोग दिया। आप भारत सरकार के विधि मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समितियों में तथा भारत सरकार की केंद्रीय हिंदी समिति में सदस्य रहे हैं। अलावा इसके केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के शासी परिषद और विद्या परिषद तथा महात्मागांधी अंतार्राष्ट्रीय हिंदी विश्व विद्यालय, वर्धा के विद्या परिषद के भी सदस्य रहे हैं।
मलयालम में आपने 200 से ज़्यादा लेख एवं एक दर्जन लघु पुस्तकें लिखी हैं। हिंदी में एक पुस्तक और चार सौ से ज़्यादा लेख/फीचर आदि तथा कतिपय कविताय़ें भी लिखी हैं। केरल से हिंदी से संबंधित समाचार हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में बराबर प्रकाशित करने का एकमात्र श्रेय आपको ही दिया जा सकता है। लगभग सौ से ज़्यादा मलयालम कहानियों तथा कतिपय कविताओं का हिंदी में अनुवाद भी आपने किया है। मृदुला गर्ग के हिंदी उपन्यास 'कठगुलाब' का मलयालम में संयुक्त अनुवाद किया है।
आपको केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के 'गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार' एवं हिंदी विद्यापीठ (केरल) के पी. जी. वासुदेव पुरस्कार से नवाजा गया है। आपने हिंदी में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा की हिंदी शिक्षण निष्णात की परीक्षा उत्तीर्ण की है।
पिल्लैजी का देशीय हिंदी अकादमी के साथ निकट संबंध रहा है और वे अकादमी के बडे हितैषी थे। वे समय समय पर अकादमी को मार्गदर्शन देते रहे हैं। हिंदी अकादमी उनके निधन पर हार्दिक शोक व्यक्त करती है और उनकी आत्मा की चिरशांती केलिए प्रार्थना करती है। अखिल भारतीय हिंदी संस्था संघ, नई दिल्ली के कार्यालय सचिव श्री जानकी वल्लभ ने एक शोक संदेश में कहा है – "पिल्लै साहव के निधन की खबर से आहत हुआ हूं। मेरे पथ प्रदर्शक थे वे। ईश्वर उनकी आत्मा को चिर शांति प्रदान करें"।
पत्नी श्रीमती पी सरोजिनि अम्मा। पुत्री श्रीमती एस गीता, कृषि अधीकारी तथा पुत्र डॉ. विवेकानन्दन पिल्लै हिंदी अध्यापक हैं।
प्रस्तुति डॉ. एम.एस.आर.पिल्लै
केरलाञ्चल
नया कदम , नई पहल ; एक लघु, विनम्र प्रयास।
संपादक
डॉ.एम.एस.राधाकृष्ण पिल्लै (डॉ.एम.एस.आर.पिल्लै)
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07/03/16 00:24:22
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संपादकीय
'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है । हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका । हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं । भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं, केंद्र सरकारी आगे पढ़ें
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