विश्व दर्शन
साहित्य का नोबेल स्वेटलाना अलक्सीविच को
लडाई की विभीषिकाओं व यातनाओँ को चश्मदीतों की जबानों से संसार के सामने पेश करनेवाली बेलरूसियन पत्रकार व साहित्यकार स्वेटलाना अलक्सीविच को इस साल के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया ।बेलरूस की लेखिका स्वेटलाना अलक्सीविच (जन्म 31 मई 1948, 67) खोजी पत्रकार और पक्षी विज्ञानी के नाम से जानी जाती है। पुरस्कार की घोषणा करते हुए अकादमी की आजीवन सचिव सारा डानियस ने कहा , वर्तमान समय और सहन की यादगार है स्वेटलाना की रचनाएँ। नोबेल पुरस्कार पानेवाले पहले पत्रकाकर व चौदहवीं वनिता है आप । कथेतर साहित्य सृजन करनेवाले को पच्चीस साल बाद यह पुरस्कार मिल रहा है। रूसी भाषा की आपकी कई रचनाएँ अंग्रेज़ी सहित कई भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं । 1986 के चेर्णोबिल आणव आपदाओं का भावनात्मक विवरण "वॉयस फ्रम चेर्णोबिल" ,सोवियट-अफ्गान लड़ाई का चश्मादीत विवरण " वॉयस इन सिंक " द्वितीय विश्व युद्ध में लड़नेवाली महिला सिपाहियों के अनुभवों का बखान करनेवाली रचना "वार्स अन वुमनली फेयस" आदि आपकी प्रमुख रचनाएँ हैं । 2013 में प्रकाशित " सेकेंड हॉन्ड टाइम्स" आपकी नवीनतम रचना है । 6.9 करोड रुपया है पुरस्कार का मूल्य।
-रंजु
11 वीं सदी की मूर्ति सिंगापुर भारत को लौटाएगा
11वीं को सदी की एक कांस्य मूर्ति को सिंगापुर का एक संग्रहालय भारत को लौटाएगा। ऐसा माना जाता है कि हिंदू देवी उमा महेश्वरी की यह मूर्ती तमिलनाडु के एक शिव मंदिर से चुराई थी। न्यूयॉर्क के एक आर्ट डीलर आर्ट ऑफ द पास्ट से 2007 में एशियन सिविलाइजेशन म्यूज़ियम ने 6 लाख 50 हज़ार डॉलर में यह मूर्ति खरीदी थी।
पुरस्कृत किया
2015 के चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार तीन लोगों को देने की घोषणा की गयी है। इसमें मलेरिया के खिलाफ एक नए उपचार की खोज करनेवाली चीन की तूयूयू, कीड़े-मकोडों द्वारा पैदा होने वाले संक्रमणों के खिलाफ नया उपचार खोजनेवाले विलियम सी, कैम्पबेल तथा संतोषी ओमुरा को दिया गया। इस पुरस्कार की घोषणा स्टॉकहोम में चिकित्सा पर नोबेल कमेटी सचिव अरबन लेन्डाल ने की।
मलेरिया की दवा केलिए तू यूयू को अवार्ड
30 दिसंबर, 1930 को जन्मी चीनी चिकित्सा विज्ञानी तथा शिक्षक तू यूयू को मलेरिया के खिलाफ सबसे ज़्यादा कारगर दवा आर्टेमिसाइनिन तथा डार्इहाड्रड्रोआर्टेमिसाइनिन की खोज केलिए जाना जाता है। इन्हें अपने कार्यों केलिए 2011 का लैस्कर पुरस्कार भी दिया गया था।
परजीवी से संक्रमण के उपचार पर जापानी बायोकैमिस्ट संतोषी ओमुरा को भी अवार्ड
वर्ष 2015 का नोबेल पुरस्कार पाने वालों मे दूसरा है बायौकैमिस्ट संतोषी ओमुरा (जन्म 12 जुलाई, 1935 के हुआ था और उन्हें दवाओं के क्षेत्र मे कई माइक्रोऑर्गोनिज़्म विकसित करने केलिए जाना जाता है।
बायोकैमिस्ट विलियम सी. कैम्पबेल
2015 के चिकित्सा का नोबेल पानेवाले तीसरा आयरिश बायोकैमिस्ट विलियम सी .कैम्पबेल। इनका जन्म 1930 में हुआ और वह इस वक्त डू यूनिवर्सिटी में सेवानिवृत्त रिसर्च फेलो है।
गरीबी पर काम केलिए एंगस डिटॉन को अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार
स्टॉकहोम प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री एंगस डिटॉन को उपभोग पर व्यापक काम केलिए इस साल के अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। डिटॉन के इस शोध कार्य से विशेषकर भारत सहित दुनिया भर मे गरीबी को आंकने के तरीके को नए सिरे से तय करने में मदद मिली।
पुरस्कार की घोषणा रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने की थी। एकाडमी ने उनका काम मानव कल्याण के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण कहा है।
ट्यूनीशियाई संगठन नेशनल डायलॉग क्वार्टेट को शांति को नोबेल पुरस्कार
ओस्लो – नोबेल शांति पुरस्कार 2015 केलिए ट्यूनीशियाई संगठन नेशनल डायलॉग क्वार्टेट को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।
2011 की जैस्मीन क्रान्ति के मद्देनजर ट्यूनिशिया में बहुलवादी लोकतंत्र के निर्माण के निर्णायक योगदान केलिए संगठन को इस पुरस्कार से नवाजा गया है।
अंतरिक्ष में हमसफर ज़मीन पर उतरे
करीब एक साल अंतरिक्ष में विचरण करने के बाद अमेरिकी अंतरि
क्ष यात्री स्कोट केल्ली औऱ रूसी अंतरिक्ष यात्री मिखायेल कोर्णियंको 1-3-2016 को रूसी अंतरिक्षयान टी.एम.ए-18 में कसाखिस्तान में उतरे । अंतरिक्ष में सबसे अधिक समय बिताने का कीर्तिमान 52 साल के अमेरिकी यात्री स्कोट केल्ली के नाम पर दर्ज किया जाएगा । 340 दिन केल्ली ने वहाँ बिताया था । उन दोनों के अलावा रूसी वंशज सर्जी वोल्कोट भी अंतरिक्ष में था । अंतरिक्ष में भी सामूहिक माध्यमों में सक्रीय रहनेवाले केल्ली ने सूर्योंदय का चित्र भी पोस्ट किया था । 340 दिनों में दोनों ने मिलकर 143 मिलियन मील आई.एस.एस. (इंटरनाशनल स्पेस स्टेशन ) में सफर किया था। दोनों ने करीब 11000 उदय-अस्त देखे थे । उन्होंने परिक्रमा पथों के संबंध में करीब 400 प्रयोग भी किये और अंतरिक्ष में फूल भी खिलाए।
-रंजू ।
केरलाञ्चल
नया कदम , नई पहल ; एक लघु, विनम्र प्रयास।
संपादक
डॉ.एम.एस.राधाकृष्ण पिल्लै (डॉ.एम.एस.आर.पिल्लै)
सहसंपादक
सलाहकार समिति
संपादकीय विभाग में सहयोग:
सहयोगी संस्थाएँ:
कार्तिका कंप्यूटर सेंटेर ,
कवडियार, तिरुवनंतपुरम-695003
देशीय हिन्दी अकादमी,
पेरुंगुष़ी, तिरुवनंतपुरम-695305
हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका
07/03/16 00:24:37
Last updated on
सहसंपादक की कलम से
संपादकीय
'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है । हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका । हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं । भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं, केंद्र सरकारी आगे पढ़ें
सूचना प्रौद्योगिकी के इस नये युग में हमारी ओर से एक लघु विनम्र प्रयास 'केरलाञ्चल' नाम से एक वेब पत्रिका के रूप में यहाँ प्रस्तुत है। आज इंटरनेट के माध्यम से कंप्यूटर में ही नहीं मोबईल फोनों में भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपनी जान-पहचान की भाषा में खबरें पढ़ सकते हैं। प्रादुर्भाव के समय वेब पत्रकारिता (सायबर जर्नलिज़म) कुछ अंग्रेज़ी साइटों तक सीमित रहा। लेकिन पिछले पच्चीस-तीस वर्षों के अन्तराल में निकले हिन्दी वेबसाइटों की भरमार देखकर इस क्षेत्र में हुए विकास और लोकप्रियता हम समझ सकते हैं। हिन्दी यूनिकोड का विकास हिन्दी वेब पत्रकारिता का मील पत्थर आगे पढ़ें