श्रीमति चन्द्रिका कुमारी.एस
केरल हिन्दी प्रचार सभा के पूर्व मंत्री स्व. एम.के.वेलायुधन नायर की धर्म पत्नी है। केरल विश्वविद्यालय से संबद्ध महात्मा गाँधी कॉलेज से हिन्दी में बी.ए तथा यूनिवेर्सिटी कॉलेज से हिन्दी में एम.ए की उपाधियाँ तथा केरल विश्वविद्यालय से शिक्षण में बी.एड़ की उपाधि एवं मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से शिक्षण में एम.एड़ की स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। 1979 से केन्द्रीय विद्यालय संगठन के विभिन्न विद्यालयों में टी.जी.टी और पी.जी.टी के पदों पर सेवा की है। सेवा निवृत्ति के बाद, केन्द्रीय विद्यालय पट्टम, तिरुवनन्तपुरम में अस्थाई तौर पर स्नातकोत्तर हिन्दी अध्यापिका के रूप में काम किया ।
2002 से दस वर्ष तक केरल हिन्दी प्रचार सभा की कार्यकारिणी की सदस्य रही है। संप्रति, जनवरी 2014 से देशीय हिन्दी अकादमी, पेरुंगुषी, तिरुवनन्तपुरम की कार्यकारिणी की सदस्य। 'हिन्दी एकाँकी नाटक तथा कहानी संग्रह शीर्षक' से दो पुस्तकों का संपादन - जिन्हें केरल हिन्दी प्रचार सभा और केरल विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों में पाठ्यपुस्तकों के रूप में स्वीकृत किया गया है। दो बार एन.सी.ई.आर.टी की माध्यमिक कक्षाओं के लिए हिन्दी पाठ्यपुस्तकें तैयार करने की (तीसरी भाषा के रूप में) कार्यशाला में हिस्सा लिया है।
मलयालम के विख्यात पार्श्वगायक डॉ के.जे.येशुदास ने मलयालम दैनिक 'मलयाला मनोरमा' में "व्याषकाष्चा' (गुरुवार के नज़ारे) शीर्षक से जो पंक्ति लिखी थी, उसका हिन्दी अनुवाद प्रो.डी.तंकप्पन नायर के साथ संयुक्त रूप से तैयार कर "केरल ज्योति' पत्रिका में प्रकाशित किया है। आप ने आकाशवाणी तिरुवनन्तपुरम केन्द्र से हिन्दी में कई कार्यक्रम प्रसारित किये है।
केरल हिन्दी प्रचार सभा की मुखपत्रिका "केरल ज्योति' में कई लेख आदि प्रकाशित किये हैं। तथा विभिन्न हिन्दी संगोष्ठियों / परिचर्चाओं में आलेख भी प्रस्तुत किये हैं।
आप तिरुवनन्तपुरम की रहनेवाली हैं।
केरलाञ्चल
नया कदम , नई पहल ; एक लघु, विनम्र प्रयास।
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डॉ.एम.एस.राधाकृष्ण पिल्लै (डॉ.एम.एस.आर.पिल्लै)
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हिन्दी भाषा तथा साहित्य केलिए समर्पित एक संपूर्ण हिन्दी वेब पत्रिका
07/03/16 00:24:13
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संपादकीय
'केरलाञ्चल' एक बिलकुल ही नई वेब पत्रिका है । हिन्दी के प्रचार प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में बिलकुल ही नयी पत्रिका । हिन्दी के प्रचार, प्रसार और प्रयोग के क्षेत्र में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के तहत अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, दिल्ली के अधीन ही कई स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएं कार्यरत हैं । भारत सरकार की राजभाषा नीति के कार्यान्वयन के लिए अधिनियम बनाये गये है और उसके तहत देश भर में कर्मचारियों और साधारण नागरिकों में भी कार्यसाधक ज्ञान या हिन्दी के प्रति रुचि पैदा करने या बढाने के उद्देश्य से विविध कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं । हर साल सितंबर महीने में चौदह तारीख को देश-भर की हिन्दी संस्थओं, केंद्र सरकारी आगे पढ़ें
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